पत्रावली पर कोई भी प्रत्यक्षदर्शी साक्षी नहीं है, जिससे यह सिद्ध होता हो कि अपीलार्थी/अभियुक्त की लापरवाही के कारण और युक्तियुक्त सावधानी न बरतने के कारण, यह घटना घटित हुई।
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योग्य अधीनस्थ न्यायालय ने इस महत्वपूर्ण तथ्य पर कोई निष्कर्ष निकाले बिना प्रश्नगत निर्णय व आदेश के पैरा 23 में काल्पनिक तरीके से यह लिखा कि " पत्रावली पर साक्षियों के बयानों से यह तथ्य साबित है कि भगवान गिरी द्वारा पोल के पास रास्ता बनाने में इस प्रकार खुदान करायी गई कि पोल झुक गया, बिजली के पोल के पास रास्ता बनाने की दशा में उनके द्वारा युक्तियुक्त सावधानी नहीं बरती गई और न ही रास्ता बनाये जाने की पूर्व सूचना ही बिजली विभाग को दी गई।